Bedi, Ramesh.

Jungle ki Baatein - New Delhi Rajkamal Prakashan 2014 - 204p.

जंगल के जीव-जन्तुओं की छियासठ घटनाओं का इन कहानियों में वर्णन है। इनसान के समान ये जीव संवेदनशील होते हैं। सुख-दु:ख की अनुभूति, ममता, स्नेह, अनुराग, वात्सल्य जैसी कोमल भावनाएँ इनमें इनसान के समान ही देखी जाती हैं। इनमें जीवनसंगिनी और भाई-बहनों का रिश्ता सुखमय होता है। अपने-पराए में भेदभाव के बिना मौसियाँ एक दूसरे के बच्चों को अपना स्तनपान कराके पाल लेती हैं। बीमार, असहाय की जीवन-रक्षा के लिए भाई-बन्धु शिकार मारकर उसे खिलाते हैं। संकट में फँसे साथी की और सन्तान की जी-जान से रक्षा करते हैं। प्रिय के वियोग में या उसके मर जाने पर शोकाकुल साथी खाना छोड़ देते हैं और प्राण त्याग देते हैं। क़ुदरत के ओपन एअर थिएटर में नीले आसमान को चूमते हुए पहाड़ों और गहरी नदियों में अविराम बहती चंचल सरिताओं के बैकड्रॉप में गूँजते हुए दिलकश संगीत के साथ प्यार-मुहब्बत, प्रेयसी के लिए जानलेवा युद्ध, आहार जुटाने के लिए कड़ा संघर्ष करनेवाले जीवों की इन मर्मस्पर्शी कहानियों में शेर, सिंह, लकड़बग्घा, गीदड़ जैसे मांसाहारियों; हाथी, गैंडे, चीतल, साँभर जैसे शाकाहारियों; जलचरों, सरीसृपों; मोर, कबूतर जैसे शान्तिप्रिय पक्षियों ने सशक्त किरदार निभाए हैं।


Hindi

978-81-267-0817-8


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