Prem, Parampara aur Vidroh

By: KatyayniMaterial type: TextTextSeries: Ahvaan Pustika. 4 Publication details: Lucknow Parikalpana Prakashan 2017Description: 64ISBN: 978-81-89760-22-9Subject(s): Gender | Inter-faith marriage | Communalism | Love | MarriageDDC classification: 306.843 Summary: प्रेम, परम्परा और सामाजिक क्रान्ति के प्रश्न के सभी पक्षों पर ऐतिहासिक भौतिकवादी दृष्टिकोण से सांगोपांग और सारगर्भित विश्लेषण प्रस्तुत करने वाली यह पुस्तक युवाओं, समाज-वैज्ञानिकों और जागरूक पाठकों के लिए न केवल बेहद उपयोगी और विचारोत्तेजक है, बल्कि इस विषय पर अपने ढंग की अकेली पुस्तक है।
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प्रेम, परम्परा और सामाजिक क्रान्ति के प्रश्न के सभी पक्षों पर ऐतिहासिक भौतिकवादी दृष्टिकोण से सांगोपांग और सारगर्भित विश्लेषण प्रस्तुत करने वाली यह पुस्तक युवाओं, समाज-वैज्ञानिकों और जागरूक पाठकों के लिए न केवल बेहद उपयोगी और विचारोत्तेजक है, बल्कि इस विषय पर अपने ढंग की अकेली पुस्तक है।

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