Bolna Hi Hai
Material type: TextPublication details: Rajpal Publishing 2019Description: 216pISBN: 9789-9388-933-612Subject(s): Fiction | Hindi LiteratureDDC classification: 891.433 Summary: रवीश कुमार की यह किताब ‘बोलना ही है’ इस बात की पड़ताल करती है कि भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किस-किस रूप में बाधित हुई है, परस्पर संवाद और सार्थक बहस की गुंजाइश कैसे कम हुई है और इससे देश में नफ़रत और असहिष्णुता को कैसे बढ़ावा मिला है। कैसे जनता के चुने हुए प्रतिनिधि, मीडिया और अन्य संस्थान एक मज़बूत लोकतंत्र के रूप में हमें विफल कर रहे हैं। इन स्थितियों से उबरने की राह खोजती यह किताब हमारे वर्तमान समय का वह दस्तावेज़ है जो स्वस्थ लोकतंत्र के हर हिमायती के लिए संग्रहणीय है। हिन्दी में आने से पहले ही यह किताब अंग्रेज़ी, मराठी और कन्नड़ में प्रकाशित हो चुकी है।Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Books | Ektara Trust | 891.433/KUM (Browse shelf(Opens below)) | Available | 4615 |
रवीश कुमार की यह किताब ‘बोलना ही है’ इस बात की पड़ताल करती है कि भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किस-किस रूप में बाधित हुई है, परस्पर संवाद और सार्थक बहस की गुंजाइश कैसे कम हुई है और इससे देश में नफ़रत और असहिष्णुता को कैसे बढ़ावा मिला है। कैसे जनता के चुने हुए प्रतिनिधि, मीडिया और अन्य संस्थान एक मज़बूत लोकतंत्र के रूप में हमें विफल कर रहे हैं। इन स्थितियों से उबरने की राह खोजती यह किताब हमारे वर्तमान समय का वह दस्तावेज़ है जो स्वस्थ लोकतंत्र के हर हिमायती के लिए संग्रहणीय है। हिन्दी में आने से पहले ही यह किताब अंग्रेज़ी, मराठी और कन्नड़ में प्रकाशित हो चुकी है।
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