Raag Darbari

By: Shukla, ShrilalMaterial type: TextTextPublication details: Rajkamal Prakashan 1983Description: 336pISBN: 978-81-267-1396-7Subject(s): Fiction | Hindi Literature | NovelDDC classification: 891.433 Summary: रागदरबारी एक ऐसा उपन्यास है जो गांव की कथा के माध्यम से आधुनिक भारतीय जीवन की मूल्यहीनता अनावृत करता है। शुरू से आखिर तक इ ने निस्संग और सौददेश्य व्यंगय के साथ हिंदी का शायद यह पहला उपन्यास है। फिरभी राग दरबारी व्यंग्य-कथा नहीं है। इसका समबन्ध एक एड़े नगर से कुछ दूर बेस हुए गांव की ज़िन्दगने वर्षो की प्रगति और विकास के नारों के बावजूद निहित स्वार्थो और अनेक अवांक्षनीय तत्वों के सामने ज़िन्दगी के दस्तावेज़ हैं। १९६८ में राग दरबारीप्रकाशन एक महत्वपूर्ण साहित्यिक घटना थी। १९७० में इसे साहित्य अकादमी पुरस्कृत किया गया और १९८६ में एक दूरदर्शन-धारावाहिक के रूप में इसे लाखो दर्शको की सराहना प्राप्त हुई।
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रागदरबारी एक ऐसा उपन्यास है जो गांव की कथा के माध्यम से आधुनिक भारतीय जीवन की मूल्यहीनता अनावृत करता है। शुरू से आखिर तक इ ने निस्संग और सौददेश्य व्यंगय के साथ हिंदी का शायद यह पहला उपन्यास है। फिरभी राग दरबारी व्यंग्य-कथा नहीं है। इसका समबन्ध एक एड़े नगर से कुछ दूर बेस हुए गांव की ज़िन्दगने वर्षो की प्रगति और विकास के नारों के बावजूद निहित स्वार्थो और अनेक अवांक्षनीय तत्वों के सामने ज़िन्दगी के दस्तावेज़ हैं। १९६८ में राग दरबारीप्रकाशन एक महत्वपूर्ण साहित्यिक घटना थी। १९७० में इसे साहित्य अकादमी पुरस्कृत किया गया और १९८६ में एक दूरदर्शन-धारावाहिक के रूप में इसे लाखो दर्शको की सराहना प्राप्त हुई।

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