Jaadu ki Sarkar
Material type: TextPublication details: Rajpal and Sons 2017Description: 144pISBN: 978-8170282273Subject(s): Fiction | Hindi Literature | Humour | Satire | StoriesDDC classification: 891.433 Summary: जादु की सरकार' हिन्दी के अप्रतिम और अविस्मरणीय व्यंग्यकार शाद जोशी के अब तक अप्रकाशित व्यंग्य-लेखों का संकलन है। रोज़मर्रा के जीवन-साधनों को आधार बनाकर लिखे गए इन लेखों में चुभन भी है ओर गुदगुदाहट भी। इनमें देश की शासन-व्यवस्था की खामियों पर व्यंग्य है, सामाजिक-आर्थिक जीवन की विसंगतियों पर व्यंग्य हैँ और आम लोगों को जिन्दगी से जुडी समस्याओं के हल के लिए की जा रही तमाम नाकाम कोशिशों पर व्यंग्य। व्यंग्यकार ने किसी भी दोष को अनदेखा नहीं किया, न ही किसी धाय या विकृति को ढंकने की कोशिश की है। उनके व्यंग्य सीधे चोट नहीं करते बल्कि अंतर्मन को झकझोरते हैं। शरद जोशी हिन्दी के पहले व्यंग्यकार हैं जिन्होंने व्यंग-विधा को काव्यमय पर प्रतिष्ठित कराकर उसे अपूर्व ऊँचाई और व्यापक लोकप्रियता प्रदान की। व्यंग्य लिखना उनके लिए जिन्दगी जी लेने की तरकीब थी।Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Books | Ektara Trust | 891.433/JOS(H) (Browse shelf(Opens below)) | Available | 4060 |
जादु की सरकार' हिन्दी के अप्रतिम और अविस्मरणीय व्यंग्यकार शाद जोशी के अब तक अप्रकाशित व्यंग्य-लेखों का संकलन है। रोज़मर्रा के जीवन-साधनों को आधार बनाकर लिखे गए इन लेखों में चुभन भी है ओर गुदगुदाहट भी। इनमें देश की शासन-व्यवस्था की खामियों पर व्यंग्य है, सामाजिक-आर्थिक जीवन की विसंगतियों पर व्यंग्य हैँ और आम लोगों को जिन्दगी से जुडी समस्याओं के हल के लिए की जा रही तमाम नाकाम कोशिशों पर व्यंग्य। व्यंग्यकार ने किसी भी दोष को अनदेखा नहीं किया, न ही किसी धाय या विकृति को ढंकने की कोशिश की है। उनके व्यंग्य सीधे चोट नहीं करते बल्कि अंतर्मन को झकझोरते हैं। शरद जोशी हिन्दी के पहले व्यंग्यकार हैं जिन्होंने व्यंग-विधा को काव्यमय पर प्रतिष्ठित कराकर उसे अपूर्व ऊँचाई और व्यापक लोकप्रियता प्रदान की। व्यंग्य लिखना उनके लिए जिन्दगी जी लेने की तरकीब थी।
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