Ganv Dekhta Tukur-tukur
Material type: TextPublication details: Rashmi Prakashan 2018Description: 107pISBN: 978-93-87773-30-1Subject(s): Hindi Literature | Hindi poems | Hindi poetry | Poems | PoetryDDC classification: 891.431 Summary: प्रदीप कुमार शुक्ल की नयी कृति है- गाँव देखता टुकुर-टुकुर ( नवगीत संग्रह)। शुक्ल जी एक व्यस्त बाल रोग चिकित्सक हैं पर उनका मन कविता में ही रमता है। उनकी काव्य प्रतिभा से हम सब भली-भाँति परिचित हैं। ग्रामीण जीवन की स्मृतियाँ, बदलते गाँव की पीड़ा अौर शहरोन्मुखी सभ्यता के निर्माण से ग्रामीण संस्कृति में आ रहा बिखराव, रिश्तों व संवेदनाअों के क्षरण उनकी प्रमुख काव्य चिंता है। अब जब गाँव धीरे-धीरे हमारे रचनाकारों के सरोकार से भी बाहर होते जा रहे हैं, उस विचित्र संवेदनहीन समय में प्रदीप कुमार शुक्ल बार-बार हमें गाँवों की याद दिलाते हैं।Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Books | Ektara Trust | 891.431/SHU(H) (Browse shelf(Opens below)) | Available | 2839 |
प्रदीप कुमार शुक्ल की नयी कृति है- गाँव देखता टुकुर-टुकुर ( नवगीत संग्रह)। शुक्ल जी एक व्यस्त बाल रोग चिकित्सक हैं पर उनका मन कविता में ही रमता है। उनकी काव्य प्रतिभा से हम सब भली-भाँति परिचित हैं। ग्रामीण जीवन की स्मृतियाँ, बदलते गाँव की पीड़ा अौर शहरोन्मुखी सभ्यता के निर्माण से ग्रामीण संस्कृति में आ रहा बिखराव, रिश्तों व संवेदनाअों के क्षरण उनकी प्रमुख काव्य चिंता है। अब जब गाँव धीरे-धीरे हमारे रचनाकारों के सरोकार से भी बाहर होते जा रहे हैं, उस विचित्र संवेदनहीन समय में प्रदीप कुमार शुक्ल बार-बार हमें गाँवों की याद दिलाते हैं।
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