Pachas Kavitayen: Nayi Sadi ke Liye Chayan

By: Singh, SavitaMaterial type: TextTextPublication details: New Delhi Vani Prakashan 2012Description: 80pISBN: 978-93-5000-894-2Subject(s): Hindi Literature | Hindi poems | Hindi poetry | Poems | PoetryDDC classification: 891.431 Summary: सविता सिंह की कविता हमारे ऐतिहासिक समय में नयी स्त्री के नये स्वप्नों और सामर्थ्य से भरपूर कविताएँ हैं। सविता सिंह की रचनाशीलता ने हिन्दी काव्य के सौन्दर्य शास्त्र को विस्तार दिया है क्योंकि यह स्त्री-विमर्श के गहरे आशयों से युक्त एक ऐसे सांस्कृतिक बोध का परिणाम है जहाँ आत्मविश्वास से दीप्त एक स्त्री ने हमारी भाषा में 'आत्मचेतस आत्मन' के बहुस्तरीय आविष्कार सम्भव किए हैं। यहाँ सच के अनूठे बिम्ब हैं, जो यथार्थ और स्वप्नमयता के द्वन्द्व से अपनी ऊर्जा और ताप लेकर आते हैं। सविता सिंह की कविताओं में जहाँ संघर्ष से उपजे आवेग-संवेग के नाना रूप हैं, वहीं संवेदना के गहरे धरातल पर वह आत्मीय एकान्त भी है जहाँ उदग्र ऐन्द्रियता के साथ स्मृति, सृजनशील कल्पना में और कल्पना निरन्तर स्पन्दित स्मृति में बदलती रहती है।
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सविता सिंह की कविता हमारे ऐतिहासिक समय में नयी स्त्री के नये स्वप्नों और सामर्थ्य से भरपूर कविताएँ हैं। सविता सिंह की रचनाशीलता ने हिन्दी काव्य के सौन्दर्य शास्त्र को विस्तार दिया है क्योंकि यह स्त्री-विमर्श के गहरे आशयों से युक्त एक ऐसे सांस्कृतिक बोध का परिणाम है जहाँ आत्मविश्वास से दीप्त एक स्त्री ने हमारी भाषा में 'आत्मचेतस आत्मन' के बहुस्तरीय आविष्कार सम्भव किए हैं। यहाँ सच के अनूठे बिम्ब हैं, जो यथार्थ और स्वप्नमयता के द्वन्द्व से अपनी ऊर्जा और ताप लेकर आते हैं। सविता सिंह की कविताओं में जहाँ संघर्ष से उपजे आवेग-संवेग के नाना रूप हैं, वहीं संवेदना के गहरे धरातल पर वह आत्मीय एकान्त भी है जहाँ उदग्र ऐन्द्रियता के साथ स्मृति, सृजनशील कल्पना में और कल्पना निरन्तर स्पन्दित स्मृति में बदलती रहती है।

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