Samudra Par Ho Rahi Hai Barish

By: Saxena, NareshMaterial type: TextTextPublication details: New Delhi Rajkamal Prakashan Subject(s): Hindi Literature | Hindi poems | Hindi poetry | Poems | PoetryDDC classification: 891.431 Summary: एक अद्वितीय तत्त्व हमें नरेश सक्सेना की कविता में दिखाई पड़ता है जो शायद समस्त भारतीय कविता में दुर्लभ है .और वह है मानव और प्रकृति के बीच लगभग संपूर्ण तादात्‍म्‍य-और यहाँ प्रकृति से अभिप्राय किसी रूमानी, ऐंद्रिक शरण्य नहीं बल्कि पृथ्वी सहित सारे ब्रह्मांड का है, वे सारी वस्तुएँ हैं जिनसे मानव निर्मित होता है और वे भी जिन्हें वह निर्मित करता है । मुक्तिबोध के बाद की हिंदी कविता यदि 'वसुधैव कुटुंबकम्' को नये अर्थों में अभिव्यक्त कर रही है तो उसके पीछे नरेश सरीखी , प्रतिभा? का योगदान अनन्य है । धरती को माता कह देना सुपरिचित' है किंतु नरेश उसके अपनी धुरी पर घूमने के साथ-साथ प्रदक्षिणा करने तथा उसके शरीर के भीतर के ताप, आर्द्रता, दबाव, रत्‍नों और हीरों से रूपक रचते हुए उसे पहले पृथ्वी-स्त्री संबोधित करते हैं । वे यह मूलभूत पार्थिव तथ्य भी नहीं भूलते कि आदमी कुछ प्राथमिक तत्त्वों से बना है- मानव-शरीर की निर्मिति में जल,
Star ratings
    Average rating: 0.0 (0 votes)
Holdings
Item type Current library Call number Status Date due Barcode Item holds
Books Books Ektara Trust
891.431/SAX(H) (Browse shelf(Opens below)) Available 2145
Total holds: 0

एक अद्वितीय तत्त्व हमें नरेश सक्सेना की कविता में दिखाई पड़ता है जो शायद समस्त भारतीय कविता में दुर्लभ है .और वह है मानव और प्रकृति के बीच लगभग संपूर्ण तादात्‍म्‍य-और यहाँ प्रकृति से अभिप्राय किसी रूमानी, ऐंद्रिक शरण्य नहीं बल्कि पृथ्वी सहित सारे ब्रह्मांड का है, वे सारी वस्तुएँ हैं जिनसे मानव निर्मित होता है और वे भी जिन्हें वह निर्मित करता है । मुक्तिबोध के बाद की हिंदी कविता यदि 'वसुधैव कुटुंबकम्' को नये अर्थों में अभिव्यक्त कर रही है तो उसके पीछे नरेश सरीखी , प्रतिभा? का योगदान अनन्य है । धरती को माता कह देना सुपरिचित' है किंतु नरेश उसके अपनी धुरी पर घूमने के साथ-साथ प्रदक्षिणा करने तथा उसके शरीर के भीतर के ताप, आर्द्रता, दबाव, रत्‍नों और हीरों से रूपक रचते हुए उसे पहले पृथ्वी-स्त्री संबोधित करते हैं । वे यह मूलभूत पार्थिव तथ्य भी नहीं भूलते कि आदमी कुछ प्राथमिक तत्त्वों से बना है- मानव-शरीर की निर्मिति में जल,

Hindi

There are no comments on this title.

to post a comment.

Click on an image to view it in the image viewer

Ektara Trust. All Rights Reserved. © 2022 | Connect With Us on Social Media
Implemented and Customised by KMLC

Powered by Koha