Nishabd ki Tarjani
Material type: TextPublication details: New Delhi Rajkamal Prakashan 2018Description: 215pISBN: 978-81-267-3091-9Subject(s): Bengali Literature-Translated | Hindi Literature | Hindi poems | Hindi poetry | Poems | Poetry | Shank GhoshDDC classification: 891.431 Summary: हमारी परम्परा में यह माना गया है कि गद्य कवियों का निकष होता है| यह निरा संयोग नहीं है कि प्रायः सभी भारतीय भाषाओँ में महत्त्वपूर्ण कवियों ने अच्छा, सरस और रौशनी देने वाला गद्य लिखा है| हम इस पुस्तक माला में ऐसा कवि-गद्य प्रस्तुत करने के लिए सचेष्ट हैं| शंख घोष न सिर्फ इस समय बांगला के सबसे बड़े कवि हैं, वे भारतीय कवि समाज में भी मूर्धन्य हैं| उनका गद्य हम दो खण्डों में प्रस्तुत कर रहे हैं| वह उनकी सूक्ष्म जीवन और काव्य-दृष्टी का साक्ष्य है : कई विषयों पर नए ताज़े ढंग से सोचने के लिए हमें प्रेरित भी करता है| उनके यहाँ बारहा ऐसे अनुभवों को गद्य में रूपायित करने की चेष्टा है जो अक्सर गद्य के अहाते से बाहर रहे आये हैं|—अशोक वाजपेयीItem type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Books | Ektara Trust | 891.431/GHO(H) (Browse shelf(Opens below)) | Available | 2021 |
हमारी परम्परा में यह माना गया है कि गद्य कवियों का निकष होता है| यह निरा संयोग नहीं है कि प्रायः सभी भारतीय भाषाओँ में महत्त्वपूर्ण कवियों ने अच्छा, सरस और रौशनी देने वाला गद्य लिखा है| हम इस पुस्तक माला में ऐसा कवि-गद्य प्रस्तुत करने के लिए सचेष्ट हैं| शंख घोष न सिर्फ इस समय बांगला के सबसे बड़े कवि हैं, वे भारतीय कवि समाज में भी मूर्धन्य हैं| उनका गद्य हम दो खण्डों में प्रस्तुत कर रहे हैं| वह उनकी सूक्ष्म जीवन और काव्य-दृष्टी का साक्ष्य है : कई विषयों पर नए ताज़े ढंग से सोचने के लिए हमें प्रेरित भी करता है| उनके यहाँ बारहा ऐसे अनुभवों को गद्य में रूपायित करने की चेष्टा है जो अक्सर गद्य के अहाते से बाहर रहे आये हैं|—अशोक वाजपेयी
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