Aaj ke Prashna 19: Naitikta ke Naye Sawal

By: RajkishoreMaterial type: TextTextPublication details: . Vani Prakashan 2009Description: 168pISBN: 81-8143-452-8Subject(s): Contemporary issues | Ethics | Hindi Literature | Morality | SociologyDDC classification: 170 Summary: पुरानी नैतिकता अब काफी क्यों नही है? नई नैतिकता के मुख्य आधार क्या हैं? नैतिकता का वैश्वीकरण की प्रक्रिया से क्या रिश्ता है? क्ल्य नैतिक लोकतन्त्र स्थापित किए बगैर वर्तमान समय की चुनौतियों का सामना किया जा सकता है? आर्थिक नैतिकता की कौन-सी मांगें हैं? और स्त्री अधिकारों का प्रश्न ? मानव सम्बन्धों में एक बारीक नैतिक व्यवस्था बनाए बगैर स्त्री-पुरुष सम्बन्धों में क्या वास्तविक रस पैदा हो सकता है? ऐसे अनेक तरह के प्रश्नों पर इस पुस्तक के लेखकों ने गंभीरता से विचार किया है। इस दृष्टि से यह किताब वर्तमान समय की पड़ताल भी है और नैतिकता के स्त्रोतों को समझने की कोशिश भी।
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पुरानी नैतिकता अब काफी क्यों नही है? नई नैतिकता के मुख्य आधार क्या हैं? नैतिकता का वैश्वीकरण की प्रक्रिया से क्या रिश्ता है? क्ल्य नैतिक लोकतन्त्र स्थापित किए बगैर वर्तमान समय की चुनौतियों का सामना किया जा सकता है? आर्थिक नैतिकता की कौन-सी मांगें हैं? और स्त्री अधिकारों का प्रश्न ? मानव सम्बन्धों में एक बारीक नैतिक व्यवस्था बनाए बगैर स्त्री-पुरुष सम्बन्धों में क्या वास्तविक रस पैदा हो सकता है? ऐसे अनेक तरह के प्रश्नों पर इस पुस्तक के लेखकों ने गंभीरता से विचार किया है। इस दृष्टि से यह किताब वर्तमान समय की पड़ताल भी है और नैतिकता के स्त्रोतों को समझने की कोशिश भी।

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