Hindi Sahitya ka Itihas

By: Snatak, VijayendraMaterial type: TextTextPublication details: New Delhi Sahitya Academy 2009Description: 400pISBN: 978-81-260-2425-4Subject(s): Hindi Literature | Hindi Literature-HistoryDDC classification: 891.43 Summary: हिन्दी साहित्य का इतिहास के प्रकाशन की तैयारी साहित्य अकादेमी ने एक चुनौती के रूप में शुरू की थी। लगभग इस स्वीकार्य तथ्य के साथ कि कम-से-कम हिन्दी साहित्य का इतिहास लिखना और लिखवाना किसी एक व्यक्ति या साहित्य संस्था के बूते की बात नहीं। विशेषकर साहित्य अकादमी जैसी संस्था के लिए, जो सारी सामग्री को पूरी तटस्थता एवं प्रामाणिकता से रखना चाहती थी। कहना न होगा, इस परिकल्पना को हाथ में लेने के बाद, इसकी रूपरेखा, काल-विभाजन और इसकी सामग्री को लेकर कई बार विद्वानों के मध्य विचार-विमर्श भी हुआ और असहमतियों के बावजूद इस दिशा में प्रगति होती रही। विशेषकर प्रगतिवाद वाले खंड मे, जहाँ संबद्ध कृती रचनाकारों की कृतियों पर अधिक विस्तार से लिखा जा सकता था। लेकिन प्रस्तुत इतिहास के कलेवर को अनावश्यक विस्तार से बचाते हुए और सीमित रखने की चेष्टा के कारण ऐसा करना संभव न हो सका। हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परंपरा तो विधिवत् मिश्रबंधु विनोद (चार भाग) से प्रारंभ हुई थी, किन्तु उसे साहित्य के इतिहास का रूप आचार्य रामचंद्र शुक्ल द्वारा लिखित हिन्दी साहित्य का इतिहास से ही प्राप्त हुआ। इतिवृत्त और आलोचना का समवेत रूप होने से वह इतिहास आज भी प्रकाश-स्तंभ की भाँति पथ-प्रदर्शक बना हुआ है। यद्यपि उस इतिहास में सन् 1940 तक की ही सूचनाएँ उपलब्ध हैं। स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी साहित्य में जो नवीन विचारधाराएँ, नूतन साहित्यिक प्रवृत्तियाँ, नव्य-चिन्तन, अभिनववाद, नानाविध स्थितियों के प्रभाव, परिवर्तन आदि आए, उनका उल्लेख उसमें नहीं है। आधुनिक युग के अद्यतन अनुसंधान द्वारा प्राप्त सामग्री का उसमें समावेश न होने से बीसवीं शती के उत्तरार्द्ध पर प्रकाश नहीं पड़ सका। साहित्य एकादेमी द्वारा प्रकाशित प्रस्तुत हिन्दी साहित्य का इतिहास में इस रिक्तांश को पूरा करने का प्रयास किया गया है एवं विभिन्न वादों पर भी प्रकाश डालकर इसे पठनीय एवं उपयोगी बनाया गया है। अंततः यह भी हिन्दी साहित्य का एक इतिहास है, एकमात्र इतिहास-ग्रंथ नहीं।
Star ratings
    Average rating: 0.0 (0 votes)
Holdings
Item type Current library Call number Status Date due Barcode Item holds
Books Books Ektara Trust
891.43/PAN(H) (Browse shelf(Opens below)) Available 1810
Total holds: 0

हिन्दी साहित्य का इतिहास के प्रकाशन की तैयारी साहित्य अकादेमी ने एक चुनौती के रूप में शुरू की थी। लगभग इस स्वीकार्य तथ्य के साथ कि कम-से-कम हिन्दी साहित्य का इतिहास लिखना और लिखवाना किसी एक व्यक्ति या साहित्य संस्था के बूते की बात नहीं। विशेषकर साहित्य अकादमी जैसी संस्था के लिए, जो सारी सामग्री को पूरी तटस्थता एवं प्रामाणिकता से रखना चाहती थी। कहना न होगा, इस परिकल्पना को हाथ में लेने के बाद, इसकी रूपरेखा, काल-विभाजन और इसकी सामग्री को लेकर कई बार विद्वानों के मध्य विचार-विमर्श भी हुआ और असहमतियों के बावजूद इस दिशा में प्रगति होती रही। विशेषकर प्रगतिवाद वाले खंड मे, जहाँ संबद्ध कृती रचनाकारों की कृतियों पर अधिक विस्तार से लिखा जा सकता था। लेकिन प्रस्तुत इतिहास के कलेवर को अनावश्यक विस्तार से बचाते हुए और सीमित रखने की चेष्टा के कारण ऐसा करना संभव न हो सका। हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परंपरा तो विधिवत् मिश्रबंधु विनोद (चार भाग) से प्रारंभ हुई थी, किन्तु उसे साहित्य के इतिहास का रूप आचार्य रामचंद्र शुक्ल द्वारा लिखित हिन्दी साहित्य का इतिहास से ही प्राप्त हुआ। इतिवृत्त और आलोचना का समवेत रूप होने से वह इतिहास आज भी प्रकाश-स्तंभ की भाँति पथ-प्रदर्शक बना हुआ है। यद्यपि उस इतिहास में सन् 1940 तक की ही सूचनाएँ उपलब्ध हैं। स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी साहित्य में जो नवीन विचारधाराएँ, नूतन साहित्यिक प्रवृत्तियाँ, नव्य-चिन्तन, अभिनववाद, नानाविध स्थितियों के प्रभाव, परिवर्तन आदि आए, उनका उल्लेख उसमें नहीं है। आधुनिक युग के अद्यतन अनुसंधान द्वारा प्राप्त सामग्री का उसमें समावेश न होने से बीसवीं शती के उत्तरार्द्ध पर प्रकाश नहीं पड़ सका। साहित्य एकादेमी द्वारा प्रकाशित प्रस्तुत हिन्दी साहित्य का इतिहास में इस रिक्तांश को पूरा करने का प्रयास किया गया है एवं विभिन्न वादों पर भी प्रकाश डालकर इसे पठनीय एवं उपयोगी बनाया गया है। अंततः यह भी हिन्दी साहित्य का एक इतिहास है, एकमात्र इतिहास-ग्रंथ नहीं।

Hindi

There are no comments on this title.

to post a comment.

Click on an image to view it in the image viewer

Ektara Trust. All Rights Reserved. © 2022 | Connect With Us on Social Media
Implemented and Customised by KMLC

Powered by Koha