Adhunik Bhasha Vigyan

By: Singh, KripashankarContributor(s): Sahay, ChaturbhujMaterial type: TextTextPublication details: New Delhi Vani Prakashan 2008Description: 175pISBN: 978-81-8143-703-7Subject(s): Hindi Literature | LinguisticsDDC classification: 491.43 Summary: आधुनिक भाषा विज्ञान' पुस्तक का यह दूसरा संस्करण है। यह कहते हुए हमें संतुष्टि का अनुभव हो रहा है कि उच्चतर कक्षाओं के विद्यार्थियों से लेकर हिन्दी के प्रबुद्ध प्राध्यापक तक सब तरह के पाठकों ने इसमें हमरी अपेक्षा से भी अधिक रूचि ली और इसे सराहा। इस पुस्तक में हमने आधुनिक भाषा विज्ञान के सिद्धान्तों पर लिखते हुए इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखा है कि यह बोझिल न होने पाये। हमारा प्रयास रहा है कि साफ सुथरे ढंग से सहज और सरल भाषा में भाषा विज्ञान के जटिल सिद्धांतों को व्याख्यारित किया जाय। इसमें सिद्धान्तों की व्याख्या और उनके उदाहरण के लिये हिन्दी भाषा-रूपों का ही चयन किया गया है। एक तरह से इस पुस्तक में सामान्य भाषा विज्ञान के मूल सिद्धान्तों के निरूपण के साथ-साथ हिन्दी भाषा की संरचना पर भी विचार किया गया है। हमने इस बात को भी ध्यान में रखा है कि जो साहित्यकार और बुद्धिजीवी भाषा की संरचनात्मक-आंतरिकता के प्रति जिज्ञासा रखते हैं, वे भी इस पुस्तक से लाभान्वित हो सकें।
Star ratings
    Average rating: 0.0 (0 votes)
Holdings
Item type Current library Call number Status Date due Barcode Item holds
Books Books Ektara Trust
491.43/SIN(H) (Browse shelf(Opens below)) Available 1802
Total holds: 0

आधुनिक भाषा विज्ञान' पुस्तक का यह दूसरा संस्करण है। यह कहते हुए हमें संतुष्टि का अनुभव हो रहा है कि उच्चतर कक्षाओं के विद्यार्थियों से लेकर हिन्दी के प्रबुद्ध प्राध्यापक तक सब तरह के पाठकों ने इसमें हमरी अपेक्षा से भी अधिक रूचि ली और इसे सराहा। इस पुस्तक में हमने आधुनिक भाषा विज्ञान के सिद्धान्तों पर लिखते हुए इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखा है कि यह बोझिल न होने पाये। हमारा प्रयास रहा है कि साफ सुथरे ढंग से सहज और सरल भाषा में भाषा विज्ञान के जटिल सिद्धांतों को व्याख्यारित किया जाय। इसमें सिद्धान्तों की व्याख्या और उनके उदाहरण के लिये हिन्दी भाषा-रूपों का ही चयन किया गया है। एक तरह से इस पुस्तक में सामान्य भाषा विज्ञान के मूल सिद्धान्तों के निरूपण के साथ-साथ हिन्दी भाषा की संरचना पर भी विचार किया गया है। हमने इस बात को भी ध्यान में रखा है कि जो साहित्यकार और बुद्धिजीवी भाषा की संरचनात्मक-आंतरिकता के प्रति जिज्ञासा रखते हैं, वे भी इस पुस्तक से लाभान्वित हो सकें।

Hindi

There are no comments on this title.

to post a comment.

Click on an image to view it in the image viewer

Ektara Trust. All Rights Reserved. © 2022 | Connect With Us on Social Media
Implemented and Customised by KMLC

Powered by Koha