Nirmal Verma

By: Vajpeyi, AshokMaterial type: TextTextPublication details: New Delhi Rajkamal Prakashan 1990Description: 255pISBN: 81-267-0136-6Subject(s): Hindi Literature | Interview | Literary CriticismDDC classification: 891.43 Summary: यह पुस्‍तक ‘पूर्वग्रह’ में प्रकाशित निबन्‍धों और अन्‍य सामग्री का एक संचयन है। इसमें वरिष्‍ठ और युवा हिन्‍दी आलोचकों के अलावा दार्शनिक, समाजशास्‍त्री, और इतिहासकार द्वारा भी निर्मल वर्मा के साहित्‍य का विश्‍लेषण और विचार शामिल है, जो कि हिन्‍दी में यदा-कदा ही सम्‍भव हो पाया है। इस पुस्‍तक में चौदह लेखक एकाग्र हैं एक लेखक या उसकी किसी कृति पर। आप पाएँगे कि हालाँकि उनमें गम्‍भरता और ज़ि‍म्‍मेदारी का सहकार है, हरेक अपने ढंग से हमारे युग के एक मूर्धन्‍य लेखक या उसकी किसी कृति या अवधारणा को देख-परख रहा है और इस साक्षात्‍कार या मुठभेड़ से कुछ अर्थपूर्ण और विचारोत्‍तेजक हमारे लिए पा रहा है। —अशोक वाजपेयी.
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यह पुस्‍तक ‘पूर्वग्रह’ में प्रकाशित निबन्‍धों और अन्‍य सामग्री का एक संचयन है। इसमें वरिष्‍ठ और युवा हिन्‍दी आलोचकों के अलावा दार्शनिक, समाजशास्‍त्री, और इतिहासकार द्वारा भी निर्मल वर्मा के साहित्‍य का विश्‍लेषण और विचार शामिल है, जो कि हिन्‍दी में यदा-कदा ही सम्‍भव हो पाया है। इस पुस्‍तक में चौदह लेखक एकाग्र हैं एक लेखक या उसकी किसी कृति पर। आप पाएँगे कि हालाँकि उनमें गम्‍भरता और ज़ि‍म्‍मेदारी का सहकार है, हरेक अपने ढंग से हमारे युग के एक मूर्धन्‍य लेखक या उसकी किसी कृति या अवधारणा को देख-परख रहा है और इस साक्षात्‍कार या मुठभेड़ से कुछ अर्थपूर्ण और विचारोत्‍तेजक हमारे लिए पा रहा है। —अशोक वाजपेयी.

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