Sanskriti ke Char Adhyayay

By: Dinkar, Ramdhari SinghMaterial type: TextTextPublication details: Lok Bharti Prakashan 2005Description: 618pISBN: 81-85341-05-2Subject(s): Culture | Hindi Literature | History | Indian culture | Indian historyDDC classification: 300.954 Summary: ...यह संभव है कि संसार में जो बड़ी-बड़ी ताकतें काम कर रही हैं, उन्हें हम पूरी तरह न समझ सकें, लेकिन, इतना तो हमें समझना ही चाहिए कि भारत क्या है और कैसे इस राष्ट्र ने अपने सामाजिक व्यक्तित्व का विकास किया गया है ! उसके व्यक्तित्व के विभिन्न पहलू कौन-से हैं और उसकी सुदृढ़ एकता कहाँ छिपी हुई है ! भारत के समस्त मन और विचारों पर उसी का एकाचिकर है ! भारत आज जो कुछ है, उसकी राचन में भारतीय जनता के प्रत्येक भाग का योगदान है ! यदि हम इस बुनियादी बात को नहीं समझ पाते तो फिर हम भारत को भी समझने में असमर्थ रहेंगे ! और यदि भारत को हम नहीं समझ सके तो हमारे भाव, विचार और काम, सब-के-सब अधूरे रह जाएंगे और हम देश की ऐसी कोई सेवा नहीं कर सकेंगे, जो ठोस और प्रभावपूर्ण हों ! मेरा विकाह्र है कि 'दिनकर' की पुस्तक इन बातों को समझने में, एक हद तक, सहायक होगी ! इसलिए, मैं इसकी सराहना करता हूँ और आशा करता हूँ कि इसे पढ़कर अनेक लोग लाभान्वित होंगे !.
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...यह संभव है कि संसार में जो बड़ी-बड़ी ताकतें काम कर रही हैं, उन्हें हम पूरी तरह न समझ सकें, लेकिन, इतना तो हमें समझना ही चाहिए कि भारत क्या है और कैसे इस राष्ट्र ने अपने सामाजिक व्यक्तित्व का विकास किया गया है ! उसके व्यक्तित्व के विभिन्न पहलू कौन-से हैं और उसकी सुदृढ़ एकता कहाँ छिपी हुई है ! भारत के समस्त मन और विचारों पर उसी का एकाचिकर है ! भारत आज जो कुछ है, उसकी राचन में भारतीय जनता के प्रत्येक भाग का योगदान है ! यदि हम इस बुनियादी बात को नहीं समझ पाते तो फिर हम भारत को भी समझने में असमर्थ रहेंगे ! और यदि भारत को हम नहीं समझ सके तो हमारे भाव, विचार और काम, सब-के-सब अधूरे रह जाएंगे और हम देश की ऐसी कोई सेवा नहीं कर सकेंगे, जो ठोस और प्रभावपूर्ण हों ! मेरा विकाह्र है कि 'दिनकर' की पुस्तक इन बातों को समझने में, एक हद तक, सहायक होगी ! इसलिए, मैं इसकी सराहना करता हूँ और आशा करता हूँ कि इसे पढ़कर अनेक लोग लाभान्वित होंगे !.

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