Faiz Ahmed Faiz ki Shayari
Material type: TextPublication details: New Delhi Vani Prakashan 2002Description: 91pISBN: 978-8181432476Subject(s): Hindi Literature (Eklavya) | Hindi poems | Hindi poetry | Poems | Poetry | ShayariDDC classification: 891.431 Summary: ‘तन्हाई’ से ‘ख़्वाब बसेरा’ तक फ़ैज़ अहमद का व्यक्तित्व और उनकी कविता घटनाओं का एक अनोखा सिलसिला है। यह पूरा सिलसिला अपने आप में एक कहानी भी है और एक सच्चाई भी। शायद इसीलिए सामूहिक अनुभवों और मानव परिस्थितियों की तर्जुमानी के बावजूद फ़ैज़ ने कभी भी अपनी पहचान नहीं खोई। वह दुनिया जहान का बखान करते हैं मगर एक ऐसे लहज़े और ऐसे स्वर में जो बहुत निजी और व्यक्तिगत है। फ़ैज़ की विचारधारा जानी पहचानी घटनाओं और अनुभवों से एक गहरा और सशक्त सम्बन्ध रखती है। मगर अपनी विशेष मनोवृति, स्वभाव और अपनी गहरी निजी बुनियादों के कारण फै़ज़ मानसिक प्रतिबद्धता में विश्वास रखते थे और उनकी कुछ भावनात्मक तर्जीहें भी थीं। लेकिन यह बातें फ़ैज़ की कविता के व्यक्तिगत स्वभाव पर कभी भी हावी नहीं हो सकीं। शायद यह कहना सही होगा कि फ़ैज ने प्रगतिवाद को एक नयी पहचान दी। अस्ल बात यह है कि फ़ैज़ की सम्पूर्ण आपबीती का सबसे प्रत्यक्ष पहलू मानसिक जिलावतनी की एक निरन्तर भावना है। यह मानव समूह से जुड़े हुए एक व्यक्ति की अकेली यात्रा का वर्णन है। इसीलिए फ़ैज़ के काव्य और उनके जीवन में यद्यपि आशावादी तत्व एक बुनियादी मूल्य की हैसियत रखते हुए भी उदासी और दर्द की भावना दूर से भी देखी जा सकती है। फ़ैज़ का दर्द किसी दार्शनिक पीड़ा की देन नहीं है। परन्तु उसकी एक अपनी वैचारिक और व्यावहारिक दिशा है। दर्द और उदासी की भावना एक विशाल मानव अनुभव पर आधारित है।Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Books | Ektara Trust | 891.431/HAN(H) (Browse shelf(Opens below)) | Available | 1745 |
‘तन्हाई’ से ‘ख़्वाब बसेरा’ तक फ़ैज़ अहमद का व्यक्तित्व और उनकी कविता घटनाओं का एक अनोखा सिलसिला है। यह पूरा सिलसिला अपने आप में एक कहानी भी है और एक सच्चाई भी। शायद इसीलिए सामूहिक अनुभवों और मानव परिस्थितियों की तर्जुमानी के बावजूद फ़ैज़ ने कभी भी अपनी पहचान नहीं खोई। वह दुनिया जहान का बखान करते हैं मगर एक ऐसे लहज़े और ऐसे स्वर में जो बहुत निजी और व्यक्तिगत है। फ़ैज़ की विचारधारा जानी पहचानी घटनाओं और अनुभवों से एक गहरा और सशक्त सम्बन्ध रखती है। मगर अपनी विशेष मनोवृति, स्वभाव और अपनी गहरी निजी बुनियादों के कारण फै़ज़ मानसिक प्रतिबद्धता में विश्वास रखते थे और उनकी कुछ भावनात्मक तर्जीहें भी थीं। लेकिन यह बातें फ़ैज़ की कविता के व्यक्तिगत स्वभाव पर कभी भी हावी नहीं हो सकीं। शायद यह कहना सही होगा कि फ़ैज ने प्रगतिवाद को एक नयी पहचान दी। अस्ल बात यह है कि फ़ैज़ की सम्पूर्ण आपबीती का सबसे प्रत्यक्ष पहलू मानसिक जिलावतनी की एक निरन्तर भावना है। यह मानव समूह से जुड़े हुए एक व्यक्ति की अकेली यात्रा का वर्णन है। इसीलिए फ़ैज़ के काव्य और उनके जीवन में यद्यपि आशावादी तत्व एक बुनियादी मूल्य की हैसियत रखते हुए भी उदासी और दर्द की भावना दूर से भी देखी जा सकती है। फ़ैज़ का दर्द किसी दार्शनिक पीड़ा की देन नहीं है। परन्तु उसकी एक अपनी वैचारिक और व्यावहारिक दिशा है। दर्द और उदासी की भावना एक विशाल मानव अनुभव पर आधारित है।
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