Pratinidhi Kahaniyan
Material type: TextPublication details: New Delhi Rajkamal Prakashan 2013Description: 168pISBN: 978-81-267-2414-7Subject(s): Fiction | Hindi Literature | StoriesDDC classification: 891.433 Summary: मुक्तिबोध यानी वैचारिकता, दार्शनिकता और रोमानी आदर्शवाद के साथ जीवन के जटिल, ग्रह. गहन, संश्लिष्ट रहस्यों की बेतरह उलझी महीन परतों की सतत जाँच करती हठपूर्ण, अपराजेय, संकल्प-दृढ़ता! नून-तेल-लकड़ी की दुश्चिन्ताओं में घिरकर अपनी उदात्त मनुष्यता से गिरते व्यक्ति की पीड़ा और बेबसी, सीमा और संकीर्णता को मुक्तिबोध ने पोर-पोर में महसूसा है । लेकिन अपराजेय जिजीविषा और जीवन का उच्छल-उद्दाम प्रवाह क्या ' मनुष्य ' को तिनके की तरह बहा ले जानेवाली हर ताकत का विरोध नहीं करता? जिजीविषा प्रतिरोध, संघर्ष, दृढ़ता, आस्था और सृजनशीलता बनकर क्या मनुष्य को अपने भीतर के विराटत्व से परिचित नहीं कराती? मुक्तिबोध की कहानियाँ अखंड उदात्त आस्था के साथ आम आदमी को उसके भीतर छिपे इस सष्टा महामानव तकले जाती हैं । अजीब अन्तर्विरोध है कि मुक्तिबोध की कहानियाँ एक साथ ' विचार कहानियाँ, हैं और आत्मकथात्मक भी । मुक्तिबोध की कहानियाँ प्रश्न उठाती हैं-नुकीले और चुभते सवाल कि ' ठाठ से रहने के चक्कर से बँधे हुए बुराई के चक्कर ' तोड़ने के लिए अपने-अपने स्तर पर कितना प्रयत्नशील है व्यक्ति? मुक्तिबोध की जिजीविषा-जड़ी कहानियाँ आत्माभिमान को बनाए रखनेवाले आत्मविश्वास और आत्मबल को जिलाए रखने का सन्देश देती हैं-भीतर के ' मनुष्य, से साक्षात्कार करने के अनिवर्चनीय सुख से सराबोर करने के उपरान्तItem type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Books | Ektara Trust | 891.433/MUK(H) (Browse shelf(Opens below)) | Available | 1704 |
मुक्तिबोध यानी वैचारिकता, दार्शनिकता और रोमानी आदर्शवाद के साथ जीवन के जटिल, ग्रह. गहन, संश्लिष्ट रहस्यों की बेतरह उलझी महीन परतों की सतत जाँच करती हठपूर्ण, अपराजेय, संकल्प-दृढ़ता! नून-तेल-लकड़ी की दुश्चिन्ताओं में घिरकर अपनी उदात्त मनुष्यता से गिरते व्यक्ति की पीड़ा और बेबसी, सीमा और संकीर्णता को मुक्तिबोध ने पोर-पोर में महसूसा है । लेकिन अपराजेय जिजीविषा और जीवन का उच्छल-उद्दाम प्रवाह क्या ' मनुष्य ' को तिनके की तरह बहा ले जानेवाली हर ताकत का विरोध नहीं करता? जिजीविषा प्रतिरोध, संघर्ष, दृढ़ता, आस्था और सृजनशीलता बनकर क्या मनुष्य को अपने भीतर के विराटत्व से परिचित नहीं कराती? मुक्तिबोध की कहानियाँ अखंड उदात्त आस्था के साथ आम आदमी को उसके भीतर छिपे इस सष्टा महामानव तकले जाती हैं । अजीब अन्तर्विरोध है कि मुक्तिबोध की कहानियाँ एक साथ ' विचार कहानियाँ, हैं और आत्मकथात्मक भी । मुक्तिबोध की कहानियाँ प्रश्न उठाती हैं-नुकीले और चुभते सवाल कि ' ठाठ से रहने के चक्कर से बँधे हुए बुराई के चक्कर ' तोड़ने के लिए अपने-अपने स्तर पर कितना प्रयत्नशील है व्यक्ति? मुक्तिबोध की जिजीविषा-जड़ी कहानियाँ आत्माभिमान को बनाए रखनेवाले आत्मविश्वास और आत्मबल को जिलाए रखने का सन्देश देती हैं-भीतर के ' मनुष्य, से साक्षात्कार करने के अनिवर्चनीय सुख से सराबोर करने के उपरान्त
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