Mere Samay ke Shabd
Material type: TextPublication details: Radhakrishan Prakashan 1993Description: 211pISBN: 81-7119-129-0Subject(s): Essays | Hindi LiteratureDDC classification: 891.434 Summary: केदारनाथ सिंह हमारे समय के सुप्रतिष्ठित कवि हैं। उन्होंने समय-समय पर विभिन्न साहित्यिक विषयों पर विश्लेषणपूर्ण लेख लिखे हैं। कई बार तर्कपूर्ण विचारप्रवण टिप्पणियाँ की हैं। एक शीर्षस्थ कवि का यह गद्य-लेखन संवेदना व संरचना की दृष्टि से अनूठा है। ‘मेरे समय के शब्द’ में केदारनाथ सिंह की रचनाशीलता का यह सुखद आयाम उद्घाटित हुआ है। प्रस्तुत पुस्तक में कविता की केन्द्रीय उपस्थिति है। हिन्दी आधुनिकता का अर्थ तलाशते हुए सुमित्रानन्दन पंत ज्ञेय, नागार्जुन, मुक्तिबोध, त्रिलोचन, रामविलास शर्मा और श्रीकान्त वर्मा आदि के कविता-जगत की थाह लगाई गई है। इस सन्दर्भ में ‘आचार्य शुक्ल की काव्य-दृष्टि और आधुनिक कविता’ लेख अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इसके अनन्तर पाँच खंड हैं—‘पाश्चात्य आधुनिकता के कुछ रंग’, ‘कुछ टिप्पणियाँ’, ‘व्यक्ति-प्रसंग’, ‘स्मृतियाँ’ और ‘परिशिष्ट’। पहले खंड में एजरा पाउंड, रिल्के और रेने शा की कविता पर विचार करने के साथ समकालीन अंग्रेज़ी कविता का मर्मान्वेषण किया गया है। दूसरे खंड में विभिन्न विषयों पर की गई टिप्पणियाँ लघु लेख सरीखी हैं। ‘व्यक्ति-प्रसंग’ के दो लेख त्रिलोचन और नामवर सिंह का आत्मीय आकलन हैं। अज्ञेय, श्रीकान्त वर्मा और सोमदत्त की ‘स्मृतियाँ’ समानधर्मिता की ऊष्मा से भरी हैं। ‘परिशिष्ट’ में तीन साक्षात्कार हैं। एक उत्तर में केदारनाथ सिंह कहते हैं, ‘...नई पीढ़ी को एक नई मुक्ति के एहसास के साथ लिखना चाहिए और अपने रचनाकर्म में सबसे अधिक भरोसा करना चाहिए अपनी संवेदना और अपने विवेक पर।’ यह पुस्तक शब्द की समकालीन सक्रियता में निहित संवेदना और विवेक को भलीभाँति प्रकाशित करती है।Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
---|---|---|---|---|---|---|
Books | Ektara Trust | 891.434/SIN(H) (Browse shelf(Opens below)) | Available | 1681 |
केदारनाथ सिंह हमारे समय के सुप्रतिष्ठित कवि हैं। उन्होंने समय-समय पर विभिन्न साहित्यिक विषयों पर विश्लेषणपूर्ण लेख लिखे हैं। कई बार तर्कपूर्ण विचारप्रवण टिप्पणियाँ की हैं। एक शीर्षस्थ कवि का यह गद्य-लेखन संवेदना व संरचना की दृष्टि से अनूठा है। ‘मेरे समय के शब्द’ में केदारनाथ सिंह की रचनाशीलता का यह सुखद आयाम उद्घाटित हुआ है। प्रस्तुत पुस्तक में कविता की केन्द्रीय उपस्थिति है। हिन्दी आधुनिकता का अर्थ तलाशते हुए सुमित्रानन्दन पंत ज्ञेय, नागार्जुन, मुक्तिबोध, त्रिलोचन, रामविलास शर्मा और श्रीकान्त वर्मा आदि के कविता-जगत की थाह लगाई गई है। इस सन्दर्भ में ‘आचार्य शुक्ल की काव्य-दृष्टि और आधुनिक कविता’ लेख अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इसके अनन्तर पाँच खंड हैं—‘पाश्चात्य आधुनिकता के कुछ रंग’, ‘कुछ टिप्पणियाँ’, ‘व्यक्ति-प्रसंग’, ‘स्मृतियाँ’ और ‘परिशिष्ट’। पहले खंड में एजरा पाउंड, रिल्के और रेने शा की कविता पर विचार करने के साथ समकालीन अंग्रेज़ी कविता का मर्मान्वेषण किया गया है। दूसरे खंड में विभिन्न विषयों पर की गई टिप्पणियाँ लघु लेख सरीखी हैं। ‘व्यक्ति-प्रसंग’ के दो लेख त्रिलोचन और नामवर सिंह का आत्मीय आकलन हैं। अज्ञेय, श्रीकान्त वर्मा और सोमदत्त की ‘स्मृतियाँ’ समानधर्मिता की ऊष्मा से भरी हैं। ‘परिशिष्ट’ में तीन साक्षात्कार हैं। एक उत्तर में केदारनाथ सिंह कहते हैं, ‘...नई पीढ़ी को एक नई मुक्ति के एहसास के साथ लिखना चाहिए और अपने रचनाकर्म में सबसे अधिक भरोसा करना चाहिए अपनी संवेदना और अपने विवेक पर।’ यह पुस्तक शब्द की समकालीन सक्रियता में निहित संवेदना और विवेक को भलीभाँति प्रकाशित करती है।
Hindi
There are no comments on this title.