Akal mein Saras
Material type: TextPublication details: New Delhi Rajkamal Prakashan 1988Description: 110pSubject(s): Hindi Literature | Hindi poems | Hindi poetry | Poems | PoetryDDC classification: 891.431 Summary: ‘ अकाल में सारस ‘ केदारनाथ सिंह जी की कविताओं का काव्य-संग्रह है । इसकी कविताएँ सन् 1983 से 87 के बीच लिखी गयी हैं । केदारनाथ सिंह जी की कविताओं में एक अलग ही आकर्षण होता है, आसपास की साधारण सी लगने वाली चीजें उनकी कविता के विषय होते हैं और वो अपनी कविता में बहुत ही खुबसूरती से इन चीजों का उपयोग करते हैं। उनके कविताओं के कहने का लहजा बिल्कुल बोलचाल के जैसा होता है, ऐसा कहीं से नहीं लगता की वो कविता कह रहे हैं । ‘अकाल में सारस ‘ कविता में सुदूर प्रदेशों से सारस पानी की तलाश में आते हैं । एक बुढ़िया अपने आंगन में एक जलभरा कटोरा रखती है । सारस उस कटोरे को देखते तक नहीं और उड़ जाते हैं । एक पूरा दृश्य एक फ़िल्म की पटकथा सी गतिविधियों की बारीक से बारीक घटना दर्ज है । केदार जी वर्णन नहीं चित्रण करते हैं । दरअसल यह कविता भौतिक अर्थ में अकाल पर होते हुए भी अर्थ के अतिक्रमण की कविता है और वह शहर को दया या घृणा का पात्र मानने की टिप्पणी के साथ खत्म होती है । शहर में जीवन तत्त्व पानी की उपलब्धता के बारे में सारसों के अनुमान को वे यूं बयां करते हैं…..Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Books | Ektara Trust | 891.431/SIN(H) (Browse shelf(Opens below)) | Available | 1678 |
‘ अकाल में सारस ‘ केदारनाथ सिंह जी की कविताओं का काव्य-संग्रह है । इसकी कविताएँ सन् 1983 से 87 के बीच लिखी गयी हैं । केदारनाथ सिंह जी की कविताओं में एक अलग ही आकर्षण होता है, आसपास की साधारण सी लगने वाली चीजें उनकी कविता के विषय होते हैं और वो अपनी कविता में बहुत ही खुबसूरती से इन चीजों का उपयोग करते हैं। उनके कविताओं के कहने का लहजा बिल्कुल बोलचाल के जैसा होता है, ऐसा कहीं से नहीं लगता की वो कविता कह रहे हैं । ‘अकाल में सारस ‘ कविता में सुदूर प्रदेशों से सारस पानी की तलाश में आते हैं । एक बुढ़िया अपने आंगन में एक जलभरा कटोरा रखती है । सारस उस कटोरे को देखते तक नहीं और उड़ जाते हैं । एक पूरा दृश्य एक फ़िल्म की पटकथा सी गतिविधियों की बारीक से बारीक घटना दर्ज है । केदार जी वर्णन नहीं चित्रण करते हैं । दरअसल यह कविता भौतिक अर्थ में अकाल पर होते हुए भी अर्थ के अतिक्रमण की कविता है और वह शहर को दया या घृणा का पात्र मानने की टिप्पणी के साथ खत्म होती है । शहर में जीवन तत्त्व पानी की उपलब्धता के बारे में सारसों के अनुमान को वे यूं बयां करते हैं…..
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