Barniyar ki Bharat Yatra
Material type: TextPublication details: New Delhi NBT, India Subject(s): Dr Barniyar | Hindi Literature | History | Indian History | TravelDDC classification: 915.4 Summary: बर्नियर की भारत यात्रा' पुस्तक में बर्नियर द्वारा लिखित यात्रा का वृत्तांत उस काल के भारत की छवि हमारे समक्ष उजागर करता है। भारत में वह 1656 ई. से 1668 ई. तक रहे, बर्नियर ने सारे देश का भ्रमण किया और शाहजहाँ तथा औरंगज़ेब के मध्यवर्ती शासनकालों में उसने भारत में जो कुछ देखा उसका रोचक विवरण प्रस्तुत किया है। उसने मुग़ल दरबार के प्रमुख दरबारी दानिशमन्द की नौकरी कर ली थी। वह दिल्ली में उस समय मौजूद था, जब दारा शिकोह को राजधानी की सड़कों पर घुमाया जा रहा था और औरंगज़ेब के सैनिक उसे घसीट रहे थे। शाहजादा दारा के पीछे-पीछे भारी भीड़ चल रही थी, जो कि उसके दुर्भाग्य पर विलाप कर रही थी। फिर भी भीड़ में से किसी व्यक्ति को अपनी तलवार निकालकर दारा को छुड़ाने का साहस नहीं हुआ। इस प्रकार बर्नियर ने विदेशी होने पर भी सत्ताधारियों के सम्मुख भारतीय जनता की निष्क्रियता तथा असहायावस्था को लक्षित कर लिया था। बर्नियर ने शाहजहाँ तथा औरंगज़ेब के रेखाचित्र भी प्रस्तुत किए हैं। बंगाल की समृद्धि से वह बहुत प्रभावित हुआ था, परन्तु जनसाधारण की निर्धनता ने उसे अत्यधिक द्रवित भी किया था। दरबार की शान-शौक़त तथा विशाल सेना का ख़र्च निकालने के लिए प्रजा पर करों का भारी बोझ लाद दिया जाता था। बर्नियर के अनुसार इस विशाल सेना का उपयोग जनता को दबाये रखने के लिए किया जाता था।Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
---|---|---|---|---|---|---|
Books | Ektara Trust | 915.4/BAR(H) (Browse shelf(Opens below)) | Available | 1510 |
बर्नियर की भारत यात्रा' पुस्तक में बर्नियर द्वारा लिखित यात्रा का वृत्तांत उस काल के भारत की छवि हमारे समक्ष उजागर करता है। भारत में वह 1656 ई. से 1668 ई. तक रहे, बर्नियर ने सारे देश का भ्रमण किया और शाहजहाँ तथा औरंगज़ेब के मध्यवर्ती शासनकालों में उसने भारत में जो कुछ देखा उसका रोचक विवरण प्रस्तुत किया है। उसने मुग़ल दरबार के प्रमुख दरबारी दानिशमन्द की नौकरी कर ली थी। वह दिल्ली में उस समय मौजूद था, जब दारा शिकोह को राजधानी की सड़कों पर घुमाया जा रहा था और औरंगज़ेब के सैनिक उसे घसीट रहे थे। शाहजादा दारा के पीछे-पीछे भारी भीड़ चल रही थी, जो कि उसके दुर्भाग्य पर विलाप कर रही थी। फिर भी भीड़ में से किसी व्यक्ति को अपनी तलवार निकालकर दारा को छुड़ाने का साहस नहीं हुआ। इस प्रकार बर्नियर ने विदेशी होने पर भी सत्ताधारियों के सम्मुख भारतीय जनता की निष्क्रियता तथा असहायावस्था को लक्षित कर लिया था। बर्नियर ने शाहजहाँ तथा औरंगज़ेब के रेखाचित्र भी प्रस्तुत किए हैं। बंगाल की समृद्धि से वह बहुत प्रभावित हुआ था, परन्तु जनसाधारण की निर्धनता ने उसे अत्यधिक द्रवित भी किया था। दरबार की शान-शौक़त तथा विशाल सेना का ख़र्च निकालने के लिए प्रजा पर करों का भारी बोझ लाद दिया जाता था। बर्नियर के अनुसार इस विशाल सेना का उपयोग जनता को दबाये रखने के लिए किया जाता था।
Hindi
There are no comments on this title.