Ve Wahan Qaid Hain

By: PriyamvadMaterial type: TextTextPublication details: Meerut Samvad Prakashan Subject(s): Fiction | Hindi LiteratureDDC classification: 891.433 Summary: प्रियंवद का उपन्यास ‘वे वहाँ कैद है’ (१९९४)फाँसीवादी उभार और साम्प्रदायिक सोच के पीछे काम करने वाली शक्तियों की शिनाख्त करता है। संवेदना प्रियंवद की ताकत है, जिसमें वैचारिक तटस्थता ईमानदारी और संवेदना शीलता व्यक्त होती है। बाबरी मस्जिद विघ्वंश के बाद ‘‘हिन्दुत्ववादी राजनीति जिस प्रकार त्रिसूल में तब्दील हो गयी थी, और आंतक के टुकड़े तान-तान कर हवा में फेके जा रहे थे, कोई भी संवेदनशील लेखक उससे अलक्षित नहीं रह सकता। प्रियवंद ने इस दौरान हताहत भारतीय मन को इस उपन्यास को माध्यम से अभिव्यक्ति दी।’ वे हिन्दूवादी साम्प्रदायिक राजनीति का उभार ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में भारतीय समाज को रखकर इस उपन्यास में एक विमर्श रचते है।
Star ratings
    Average rating: 0.0 (0 votes)
Holdings
Item type Current library Call number Status Date due Barcode Item holds
Books Books Ektara Trust
891.433/PRI(H) (Browse shelf(Opens below)) Available 1509
Total holds: 0

प्रियंवद का उपन्यास ‘वे वहाँ कैद है’ (१९९४)फाँसीवादी उभार और साम्प्रदायिक सोच के पीछे काम करने वाली शक्तियों की शिनाख्त करता है। संवेदना प्रियंवद की ताकत है, जिसमें वैचारिक तटस्थता ईमानदारी और संवेदना शीलता व्यक्त होती है। बाबरी मस्जिद विघ्वंश के बाद ‘‘हिन्दुत्ववादी राजनीति जिस प्रकार त्रिसूल में तब्दील हो गयी थी, और आंतक के टुकड़े तान-तान कर हवा में फेके जा रहे थे, कोई भी संवेदनशील लेखक उससे अलक्षित नहीं रह सकता। प्रियवंद ने इस दौरान हताहत भारतीय मन को इस उपन्यास को माध्यम से अभिव्यक्ति दी।’ वे हिन्दूवादी साम्प्रदायिक राजनीति का उभार ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में भारतीय समाज को रखकर इस उपन्यास में एक विमर्श रचते है।

Hindi

There are no comments on this title.

to post a comment.

Click on an image to view it in the image viewer

Ektara Trust. All Rights Reserved. © 2022 | Connect With Us on Social Media
Implemented and Customised by KMLC

Powered by Koha