Gali ke Mod pe Suna sa koi Darw hoaza
Material type: TextPublication details: New Delhi Aaru Publication 2014Description: 184pISBN: 978-8190540568Subject(s): Fiction | Hindi LiteratureDDC classification: 891.433 Summary: कहानियाँ कभी यथार्थ के धरातल पर पटक देती है तो कभी रुई के फाहे सा सहेज लेती है।कहानियाँ कभी आँखों में गुलाबी सपनें बुनती है तो कभी उन्हीं सपनों के टूट जाने पर उनकी किरचों को चुनती है। कहानियाँ कभी जड़ों की तरह उलझी सी होती है तो कभी पत्तियों की तरह सुलझी सी होती है।कहानियाँ कभी अमिय बरसाती है चाँदनी रातों में तो कभी यथार्थ की तेज तपिश में झुलसाती है। सच पूछिए तो कहानियों को लिखने में मुझे कभी कोई खास प्रयास नहीं करना पड़ा क्योंकि उन्हें मैं नहीं लिखती ये स्वयं अपने आपको मुझ से लिखवा लेती है।जीवन में जितनी बातें इंसान खुद से करता है उतना शायद किसी से भी नहीं….शायद यही बातें कहानियों का रूप ले लेती है। कहानियाँ हमारे इर्द-गिर्द ही होती है बस हमें उन्हें शब्दों से सहेजना होता है, विचारों से सम्भालना होता है और शिल्प से सँवारना होता है।बहुत सारे लोगों का यह मानना है कि कहानियाँ लेखक की आपबीती होती है, यह बात सच भी है और नहीं भी…क्योंकि लेखक जब आस-पास के माहौल से प्रभावित होत हैं तब उन्हें शब्दों का अमली जामा पहना देता है ,वो जैसा महसूस करता है बस उसी को कलमबद्ध कर देता है।पच्चीस कहानियों से सजा यह कहानी संग्रह जीवन की सच्चाई से रूबरू कराता है।उम्मीद करती हूँ आप सभी का भरपूर स्नेह और आशीर्वाद मिलेगा।Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Books | Ektara Trust | 891.433/THA(H) (Browse shelf(Opens below)) | Available | 1505 |
कहानियाँ कभी यथार्थ के धरातल पर पटक देती है तो कभी रुई के फाहे सा सहेज लेती है।कहानियाँ कभी आँखों में गुलाबी सपनें बुनती है तो कभी उन्हीं सपनों के टूट जाने पर उनकी किरचों को चुनती है। कहानियाँ कभी जड़ों की तरह उलझी सी होती है तो कभी पत्तियों की तरह सुलझी सी होती है।कहानियाँ कभी अमिय बरसाती है चाँदनी रातों में तो कभी यथार्थ की तेज तपिश में झुलसाती है। सच पूछिए तो कहानियों को लिखने में मुझे कभी कोई खास प्रयास नहीं करना पड़ा क्योंकि उन्हें मैं नहीं लिखती ये स्वयं अपने आपको मुझ से लिखवा लेती है।जीवन में जितनी बातें इंसान खुद से करता है उतना शायद किसी से भी नहीं….शायद यही बातें कहानियों का रूप ले लेती है। कहानियाँ हमारे इर्द-गिर्द ही होती है बस हमें उन्हें शब्दों से सहेजना होता है, विचारों से सम्भालना होता है और शिल्प से सँवारना होता है।बहुत सारे लोगों का यह मानना है कि कहानियाँ लेखक की आपबीती होती है, यह बात सच भी है और नहीं भी…क्योंकि लेखक जब आस-पास के माहौल से प्रभावित होत हैं तब उन्हें शब्दों का अमली जामा पहना देता है ,वो जैसा महसूस करता है बस उसी को कलमबद्ध कर देता है।पच्चीस कहानियों से सजा यह कहानी संग्रह जीवन की सच्चाई से रूबरू कराता है।उम्मीद करती हूँ आप सभी का भरपूर स्नेह और आशीर्वाद मिलेगा।
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