Lorka ki Kavitayen
Material type: TextPublication details: Vani Prakashan 2014Description: 116pISBN: 978-9350724408Subject(s): Hindi Literature | Hindi poems | Hindi poetry | Poems | PoetryDDC classification: 891.431 Summary: सुरेश सलिल(जन्म 19 जून 1942)हिन्दी के समर्थ कवि, आलोचक और साहित्यिक इतिहास के गहन अध्येता हैं। गणेश शंकर विद्यार्थी के कृतित्व और व्यक्तित्व पर अनेक प्रकाशनों के अतिरिक्त एक कविति संग्रह खुले में खड़े होकर प्रकाशित हुआ है। बच्चों व किशोरों के लिए भी इन्होंने कई किताबें प्रकाशित की हैं। श्री सलिल ने गणेशशंकर विद्यार्थी से संबंधित कई पुस्तकें लिखी हैं जिनमें उनकी जेल डायरी विशेष चर्चित रही। श्री सलिल ने विश्व की कई कालजयी कृतियों का अनुवाद भी किया है। गंगादासपुर, ज़िला उन्नाव, उत्तर प्रदेश है। कृतियाँ: खुले में खड़े होकर (1990) (कविता संग्रह),मेरा ठिकाना क्या पूछो हो (2004) (ग़ज़ल संग्रह), साठोत्तरी कविता: छह कवि (पाँच कवियों की सवक्तव्य कविताएँ),(1969),अनुवाद:मकदूनिया की कविताएँ (1992),अपनी जुबान में: विश्व की विभिन्न भाषाओं की कहानियाँ(1996),मध्यवर्ग का शोकगीत: जर्मन कवि हांस माग्नुस एंत्सेंसबर्गर की कविताएँ (1999),पढ़ते हुए (2000) दुनिया का सबसे गहरा महासागर: चेक कवि मिरोस्लाव होलुब की कविताएँ (2000),रोशनी की खिड़कियाँ : इकतीस भाषाओं के एक सौ बारह कवि (2003),देखेंगे उजले दिन: नाज़िम हिकमत की कविताएँ (2003),जापान : साहित्य की झलक (सहयोगी संकलन),मक़दुनिया की कविताएं (तनाव) श्रृंखला में प्रकाशित,अपनी जुबान में (विश्व की कई भाषाओं से चुनी हुई कहानियों का अनुवाद),उंगारेत्ती की अनूदित कविताएँ:प्राण-पीड़ा / उंगारेत्ती, कोई और रात / उंगारेत्ती, सितारे / उंगारेत्ती संपादित गणेशशंकर विद्यार्थी रचनावली: चार खंड,वली की सौ ग़ज़लें(2004),नागार्जुन: प्रतिनिधि कविताएँ (1999)।Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Books | Ektara Trust | 891.431/SAL(H) (Browse shelf(Opens below)) | Available | 1476 |
सुरेश सलिल(जन्म 19 जून 1942)हिन्दी के समर्थ कवि, आलोचक और साहित्यिक इतिहास के गहन अध्येता हैं। गणेश शंकर विद्यार्थी के कृतित्व और व्यक्तित्व पर अनेक प्रकाशनों के अतिरिक्त एक कविति संग्रह खुले में खड़े होकर प्रकाशित हुआ है। बच्चों व किशोरों के लिए भी इन्होंने कई किताबें प्रकाशित की हैं। श्री सलिल ने गणेशशंकर विद्यार्थी से संबंधित कई पुस्तकें लिखी हैं जिनमें उनकी जेल डायरी विशेष चर्चित रही। श्री सलिल ने विश्व की कई कालजयी कृतियों का अनुवाद भी किया है। गंगादासपुर, ज़िला उन्नाव, उत्तर प्रदेश है। कृतियाँ: खुले में खड़े होकर (1990) (कविता संग्रह),मेरा ठिकाना क्या पूछो हो (2004) (ग़ज़ल संग्रह), साठोत्तरी कविता: छह कवि (पाँच कवियों की सवक्तव्य कविताएँ),(1969),अनुवाद:मकदूनिया की कविताएँ (1992),अपनी जुबान में: विश्व की विभिन्न भाषाओं की कहानियाँ(1996),मध्यवर्ग का शोकगीत: जर्मन कवि हांस माग्नुस एंत्सेंसबर्गर की कविताएँ (1999),पढ़ते हुए (2000) दुनिया का सबसे गहरा महासागर: चेक कवि मिरोस्लाव होलुब की कविताएँ (2000),रोशनी की खिड़कियाँ : इकतीस भाषाओं के एक सौ बारह कवि (2003),देखेंगे उजले दिन: नाज़िम हिकमत की कविताएँ (2003),जापान : साहित्य की झलक (सहयोगी संकलन),मक़दुनिया की कविताएं (तनाव) श्रृंखला में प्रकाशित,अपनी जुबान में (विश्व की कई भाषाओं से चुनी हुई कहानियों का अनुवाद),उंगारेत्ती की अनूदित कविताएँ:प्राण-पीड़ा / उंगारेत्ती, कोई और रात / उंगारेत्ती, सितारे / उंगारेत्ती संपादित गणेशशंकर विद्यार्थी रचनावली: चार खंड,वली की सौ ग़ज़लें(2004),नागार्जुन: प्रतिनिधि कविताएँ (1999)।
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