Ticket Sangrah
Material type: TextPublication details: Vani Prakashan 2010Description: 230pISBN: 978-9352291724Subject(s): Fiction | Hindi Literature | Russian Literature-TranslatedDDC classification: 891.433 Summary: चेकोस्लोवाकियाका नाम सुनते ही पिछली सदी के जिन गिने-चुने लेखकों का ध्यान बरबस आता है,उनमे कारेल चापेक प्रमुख हैं। वह सम्पूर्ण रूप से बीसवीं शताब्दी के व्यक्ति थे, असाधारण अंतर्दृष्टि के मालिक। उनका सुसंस्कृत लेखक व्यक्तित्व हमे बरबस ‘रोमां रोलां’ और ‘रविंद्र्नाथ’ जैसी ‘सम्पूर्ण आत्माओं’ का स्मरण करा देता है। चापेक ने अपने साहित्य में हर व्यक्ति के ‘निजी सत्य’ को खोजने का संघर्ष किया था- एक भेद और रहस्य और मर्म, जो साधारण ज़िंदगी की औसत और क्षुद्र घटनाओं के नीचे दबा रहता है। निर्मल वर्मा द्वारा इनकी रचनाओं का यह अनुवाद पाठक को चापेक से रूबरू करने का एक औछ प्रयास है।Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Books | Ektara Trust | 891.433/CHA(H) (Browse shelf(Opens below)) | Available | 1446 |
चेकोस्लोवाकियाका नाम सुनते ही पिछली सदी के जिन गिने-चुने लेखकों का ध्यान बरबस आता है,उनमे कारेल चापेक प्रमुख हैं। वह सम्पूर्ण रूप से बीसवीं शताब्दी के व्यक्ति थे, असाधारण अंतर्दृष्टि के मालिक। उनका सुसंस्कृत लेखक व्यक्तित्व हमे बरबस ‘रोमां रोलां’ और ‘रविंद्र्नाथ’ जैसी ‘सम्पूर्ण आत्माओं’ का स्मरण करा देता है। चापेक ने अपने साहित्य में हर व्यक्ति के ‘निजी सत्य’ को खोजने का संघर्ष किया था- एक भेद और रहस्य और मर्म, जो साधारण ज़िंदगी की औसत और क्षुद्र घटनाओं के नीचे दबा रहता है। निर्मल वर्मा द्वारा इनकी रचनाओं का यह अनुवाद पाठक को चापेक से रूबरू करने का एक औछ प्रयास है।
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