Ekyavan Kahaniyan
Material type: TextPublication details: Samay Prakashan Description: 456pSubject(s): Fiction | Hindi LiteratureDDC classification: 891.433 Summary: स्वयं प्रकाश हिंदी के जाने-माने कथाकार हैं। उनकी कहानियाँ हिंदी के पाठकों और आलोचकों में समान रूप से लोकप्रिय रही हैं। सत्तर के दशक से अपना कहानी लेखन प्रारंभ करनेवाले स्वयं प्रकाश की पहचान ऐसे कहानीकार के रूप में है; जो सहजता से अपनी बात कह देते हैं और उनकी कोई कहानी ऐसी नहीं होती; जिसमें सामाजिकता का उद्देश्य न हो। इस तरह से हिंदी में प्रेमचंद; यशपाल; भीष्म साहनी; हरिशंकर परसाई और अमरकांत की परंपरा के वे बड़े कथाकार हैं। भारतीय जीवन के मर्म को उनकी कहानियों में देखा जा सकता है। मध्य वर्ग के राग-विराग हों या नौकरीपेशा सामान्य गृहस्थी के द्वंद्व; युवा वर्ग की उलझनें हों या महिलाओं के संघर्ष—स्वयं प्रकाश की कहानियाँ पूरे भारतीय समाज को अपने दायरे में लेती हैं। वे उन लोगों में नहीं हैं; जो भारतीय समाज की हलचल से निराश हो जाएँ; बल्कि वे इसी समाज से आशा के नए-नए स्रोत खोजते हैं और अपने पाठकों को नए उत्साह से भर देते हैं।Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Books | Ektara Trust | 891.433/PRA(H) (Browse shelf(Opens below)) | Available | 1439 |
स्वयं प्रकाश हिंदी के जाने-माने कथाकार हैं। उनकी कहानियाँ हिंदी के पाठकों और आलोचकों में समान रूप से लोकप्रिय रही हैं। सत्तर के दशक से अपना कहानी लेखन प्रारंभ करनेवाले स्वयं प्रकाश की पहचान ऐसे कहानीकार के रूप में है; जो सहजता से अपनी बात कह देते हैं और उनकी कोई कहानी ऐसी नहीं होती; जिसमें सामाजिकता का उद्देश्य न हो। इस तरह से हिंदी में प्रेमचंद; यशपाल; भीष्म साहनी; हरिशंकर परसाई और अमरकांत की परंपरा के वे बड़े कथाकार हैं। भारतीय जीवन के मर्म को उनकी कहानियों में देखा जा सकता है। मध्य वर्ग के राग-विराग हों या नौकरीपेशा सामान्य गृहस्थी के द्वंद्व; युवा वर्ग की उलझनें हों या महिलाओं के संघर्ष—स्वयं प्रकाश की कहानियाँ पूरे भारतीय समाज को अपने दायरे में लेती हैं। वे उन लोगों में नहीं हैं; जो भारतीय समाज की हलचल से निराश हो जाएँ; बल्कि वे इसी समाज से आशा के नए-नए स्रोत खोजते हैं और अपने पाठकों को नए उत्साह से भर देते हैं।
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