Pehla Adhyapak

By: Aitmatov, ChinghizMaterial type: TextTextPublication details: . NBT, India 1999Description: 69pISBN: 978-81-23728773Subject(s): Education | Historical fiction | Russian Literature-TranslatedDDC classification: 371 Summary: "मैं आज भी सोचकर हैरान रह जाती हूँ कि किस तरह वह अर्द्ध-शिक्षित युवक, जो मुश्किल से अक्षर जोड़-जोड़कर पढ़ पाता था, जिसके पास एक भी पाठ्यपुस्तक नहीं थी, एक ऐसे महान काम को हाथ में लेने का साहस कैसे कर पाया। ऐसे बच्चों को पढ़ाना क्या कोई मज़ाक़ है, जिनकी पिछली सात पीढ़ियों ने स्कूल का नाम तक न सुना हो और निश्चय ही दूइशेन पाठ्यक्रम के बारे में, अध्यापन-विधियों के बारे में कुछ भी नहीं जानता था। ...पर मुझे पूरा विश्वास है कि उसका वह उत्साह, वह जोश, जिसके साथ उसने हमें पढ़ाने की कोशिश की, निष्फल नहीं रहा। हम किर्गीज़ बच्चों के लिए, जिन्होंने कभी अपने गाँव से बाहर क़दम नहीं रखा था, उस स्कूल की बदौलत...उस कच्ची कोठरी की बदौलत हमारी आँखों के सामने एक नया संसार खुल गया, एक ऐसा संसार जिसके बारे में हमने न कभी सुना था और न कभी देखा था।..." (दुनिया की क़रीब 150 भाषाओं में अनूदित इस उपन्यास से)
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"मैं आज भी सोचकर हैरान रह जाती हूँ कि किस तरह वह अर्द्ध-शिक्षित युवक, जो मुश्किल से अक्षर जोड़-जोड़कर पढ़ पाता था, जिसके पास एक भी पाठ्यपुस्तक नहीं थी, एक ऐसे महान काम को हाथ में लेने का साहस कैसे कर पाया। ऐसे बच्चों को पढ़ाना क्या कोई मज़ाक़ है, जिनकी पिछली सात पीढ़ियों ने स्कूल का नाम तक न सुना हो और निश्चय ही दूइशेन पाठ्यक्रम के बारे में, अध्यापन-विधियों के बारे में कुछ भी नहीं जानता था। ...पर मुझे पूरा विश्वास है कि उसका वह उत्साह, वह जोश, जिसके साथ उसने हमें पढ़ाने की कोशिश की, निष्फल नहीं रहा। हम किर्गीज़ बच्चों के लिए, जिन्होंने कभी अपने गाँव से बाहर क़दम नहीं रखा था, उस स्कूल की बदौलत...उस कच्ची कोठरी की बदौलत हमारी आँखों के सामने एक नया संसार खुल गया, एक ऐसा संसार जिसके बारे में हमने न कभी सुना था और न कभी देखा था।..." (दुनिया की क़रीब 150 भाषाओं में अनूदित इस उपन्यास से)

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