Kavi ne Kaha: Chuni Hui Kavitayen

By: Srivastav, EkantMaterial type: TextTextPublication details: . KitabGhar Prakashan 2016Description: 134pISBN: 978-9385054563Subject(s): Hindi Literature | Hindi poems | Hindi poetry | Poems | PoetryDDC classification: 891.431 Summary: एकान्तवस्तुतःछत्तीसगढ़की‘कन्हार’केकविहैं।एकान्तकाकाव्य-संसारएकओरमाँ-बाप, भाई-बहनकाभरा-पूरापरिवारहैतोदूसरीओरअंधीलड़की, अपाहिजऔरबधिरजैसेअसहायलोगोंकाशरण्यभीऔर‘कन्हार’जैसीलंबीकवितातोएकतरहसेनख-दर्पणमेंआजकेभारतकाछाया-चित्रहीहै।‘अन्नहैंमेरेशब्द’सेअपनीकाव्य-यात्राआरंभकरनेवालेएकान्तउनथोड़ेसेकवियोंमेंहैंजो‘शब्द’कोअपनीकविताओंसेएकनयाअर्थदेरहेहैं।निश्चयहीएकान्तकाकाव्यएकलंबीछलाँगहैऔरऊँचीउड़ानभी--कविकेहीशब्दोंमेंएकभयानकशून्यकीभरपाई। -नामवरसिंहकालीमिट्टीसेकपासकीतरहउगनेकीआकांक्षासेउद्वेलितयहकविअपनीहरअगलीकवितामेंमानोपाठककोआश्वस्तकरताहैकिवहअपनेभाव-लोकमेंचाहेजितनीभीदूरचलाजाए, अंततःलौटकरवहींआएगाजोउसकेअनुभवकीतपीहुईकालीमिट्टीहै।यहएकऐसीदुनियाहैजोएककिसानीपरिवेशकेचमकतेहुएबिंबोंऔरस्मृतियोंसेभरीहै।एकअच्छीबातयहकिगहरेअर्थमेंपर्यावरण-सजगइसकविकेपासएकऐसीदेखती-सुनती, छूतीऔरचखतीहुईभाषाहै, जोपाठककीसंवेदनासेसीधसंलापकरतीहै। -केदारनाथसिंहएकान्तकीकविताऔरकवि-कर्मकीखूबीहैकिउन्होंनेअपनेकोऔपनिवेशिकआधुनिकताकेपश्चिमीकुप्रभावसेबचायाहै।यहीकारणहैकिउनकीकविताकलावादीऔररूपवादीप्रभावसेमुक्तहै।ऐसाइसलिएकिएकान्तअपनेजनपद, अपनीजड़ोंऔरअपनीज़मीनकोकभीनहींछोड़ते।उनकीकविताहमेंभारतीयसमृद्धकाव्य-परंपराकीयाददिलातीहैजोआजकीअधिकांशकवितासेविलुप्तप्रायहै।एकान्त, निराला, नागार्जुन, त्रिलोचनऔरकेदारनाथअग्रवालकीपरंपराकेसशक्तकविहैं।एकान्तकीकवितामेंकोईठहरावनहींहै।वेआजभीनितनवीनऔरसारगर्भितकविताएँबिनाकिसीविचलनयादोहरावकेरचरहेहैं।क्योंकिउनकागहरारिश्ताभारतीयलोकऔरजनमानससेबनाहुआहै।सहीअर्थोंमेंवेलोकधर्मीकविहैं।‘नागकेसरकादेशयह’हिंदीमेंएकान्तकीसर्वाधिकलंबीकविताहैजिसकेकईअर्थ-ध्वनिस्तरहैंऔरबड़ीसंश्लिष्टताहै। -विजेन्द्र
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एकान्तवस्तुतःछत्तीसगढ़की‘कन्हार’केकविहैं।एकान्तकाकाव्य-संसारएकओरमाँ-बाप, भाई-बहनकाभरा-पूरापरिवारहैतोदूसरीओरअंधीलड़की, अपाहिजऔरबधिरजैसेअसहायलोगोंकाशरण्यभीऔर‘कन्हार’जैसीलंबीकवितातोएकतरहसेनख-दर्पणमेंआजकेभारतकाछाया-चित्रहीहै।‘अन्नहैंमेरेशब्द’सेअपनीकाव्य-यात्राआरंभकरनेवालेएकान्तउनथोड़ेसेकवियोंमेंहैंजो‘शब्द’कोअपनीकविताओंसेएकनयाअर्थदेरहेहैं।निश्चयहीएकान्तकाकाव्यएकलंबीछलाँगहैऔरऊँचीउड़ानभी--कविकेहीशब्दोंमेंएकभयानकशून्यकीभरपाई। -नामवरसिंहकालीमिट्टीसेकपासकीतरहउगनेकीआकांक्षासेउद्वेलितयहकविअपनीहरअगलीकवितामेंमानोपाठककोआश्वस्तकरताहैकिवहअपनेभाव-लोकमेंचाहेजितनीभीदूरचलाजाए, अंततःलौटकरवहींआएगाजोउसकेअनुभवकीतपीहुईकालीमिट्टीहै।यहएकऐसीदुनियाहैजोएककिसानीपरिवेशकेचमकतेहुएबिंबोंऔरस्मृतियोंसेभरीहै।एकअच्छीबातयहकिगहरेअर्थमेंपर्यावरण-सजगइसकविकेपासएकऐसीदेखती-सुनती, छूतीऔरचखतीहुईभाषाहै, जोपाठककीसंवेदनासेसीधसंलापकरतीहै। -केदारनाथसिंहएकान्तकीकविताऔरकवि-कर्मकीखूबीहैकिउन्होंनेअपनेकोऔपनिवेशिकआधुनिकताकेपश्चिमीकुप्रभावसेबचायाहै।यहीकारणहैकिउनकीकविताकलावादीऔररूपवादीप्रभावसेमुक्तहै।ऐसाइसलिएकिएकान्तअपनेजनपद, अपनीजड़ोंऔरअपनीज़मीनकोकभीनहींछोड़ते।उनकीकविताहमेंभारतीयसमृद्धकाव्य-परंपराकीयाददिलातीहैजोआजकीअधिकांशकवितासेविलुप्तप्रायहै।एकान्त, निराला, नागार्जुन, त्रिलोचनऔरकेदारनाथअग्रवालकीपरंपराकेसशक्तकविहैं।एकान्तकीकवितामेंकोईठहरावनहींहै।वेआजभीनितनवीनऔरसारगर्भितकविताएँबिनाकिसीविचलनयादोहरावकेरचरहेहैं।क्योंकिउनकागहरारिश्ताभारतीयलोकऔरजनमानससेबनाहुआहै।सहीअर्थोंमेंवेलोकधर्मीकविहैं।‘नागकेसरकादेशयह’हिंदीमेंएकान्तकीसर्वाधिकलंबीकविताहैजिसकेकईअर्थ-ध्वनिस्तरहैंऔरबड़ीसंश्लिष्टताहै। -विजेन्द्र

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