Rehmaton ki Barish
Material type: TextPublication details: Vani Prakashan 2020Description: 38pSubject(s): Hindi Literature | Hindi poems | Hindi poetry | Poems | PoetryDDC classification: 891.431 Summary: परवीन शाकिर की ग़ज़लें स्त्री को उसकी छीनी गयी भाषा लौटाती हैं। उसके लवों पर लगी हुई मुहर को हटाकर उसे मुखर होने को प्रेरित करती हैं। उसे अपने हिस्से की जमीन और आसमान माँगने का साहस मुहैया करती हैं। वे जानती हैं कि ‘लड़कियों के दुख अजीब होते हैं, सुख उससे अजीब’। वे स्त्री में सिर्फ तथाकथित सुघड़ाया और शील को देखने की हामी नहीं हैं बल्कि उसके भीतर सोये हुए ज्वालामुखी को बेदार करती हैं। उसकी आत्मा के शान्त जल में खलबली पैदा करती हैं। परवीन शाकिर की ग़ज़लों के एक-एक मिसरे में हज़ारहा झंझावात समाये हुए हैं जो हमें भीतर तक झकझोर देते हैं।Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Books | Ektara Trust | 891.431/SHA(H) (Browse shelf(Opens below)) | Available | 1242 |
परवीन शाकिर की ग़ज़लें स्त्री को उसकी छीनी गयी भाषा लौटाती हैं। उसके लवों पर लगी हुई मुहर को हटाकर उसे मुखर होने को प्रेरित करती हैं। उसे अपने हिस्से की जमीन और आसमान माँगने का साहस मुहैया करती हैं। वे जानती हैं कि ‘लड़कियों के दुख अजीब होते हैं, सुख उससे अजीब’। वे स्त्री में सिर्फ तथाकथित सुघड़ाया और शील को देखने की हामी नहीं हैं बल्कि उसके भीतर सोये हुए ज्वालामुखी को बेदार करती हैं। उसकी आत्मा के शान्त जल में खलबली पैदा करती हैं। परवीन शाकिर की ग़ज़लों के एक-एक मिसरे में हज़ारहा झंझावात समाये हुए हैं जो हमें भीतर तक झकझोर देते हैं।
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