Pratinidhi Kahaniyan
Material type: TextPublication details: Rajkamal Paper Backs 2019Description: 159pISBN: 978-9388183833Subject(s): Fiction | Hindi LiteratureDDC classification: 891.433 Summary: शानी ने आज से लगभग तीस वर्ष पहले लिखना शुरू किया था, और इन सब वर्षों में उन्होंने अपने रचना-सामर्थ्य की छाप हिन्दी-जगत पर छोड़ी है । एक तरफ़ उन्होंने 'जनाजा', 'युद्ध', 'जली हुई रस्सी', सरीखी रचनाओं के जरिये, विभाजन के बाद से अपने में चन्द मुस्लिम समाज के बहुत सारे डर, असमंजस और विरोधाभास हमारे सामने रखे हैं, तो दूसरी ओर 'जहाँपनाह जंगल' जैसी दुनिया उद्घाटित की है और 'परस्त्रीगमन' जैसा नजरिया पेश किया है । उनकी कहानियों में हमें अपने भीतर की वह दबी हुई चीख सुनाई पड़ती है, जिसे हम रोज मुल्लवी करते चलते थे । साथ ही, उनकी दूरबीनी नजर के सामने हम अपने कार्यकलापों को बौना, व्यर्थ और क्षणभंगुर होता हुआ भी पाते हैं । संक्षेप में, उनके पाठकों का कहीं छुटकारा नहीं है-हर हालत में वे पात्रों की नियति के सहभोगी हैं-उसमें विदूप हो, व्यंग हो या कभी न भुलाया जानेवाला अपमान । शानी के रचना-संसार से अपरिचित पाठकों के लिए यह संकलन यक़ीनन प्रतिनिधि सिद्ध होगा ।Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Books | Ektara Trust | 891.433/SHA(H) (Browse shelf(Opens below)) | Available | 1023 |
शानी ने आज से लगभग तीस वर्ष पहले लिखना शुरू किया था, और इन सब वर्षों में उन्होंने अपने रचना-सामर्थ्य की छाप हिन्दी-जगत पर छोड़ी है । एक तरफ़ उन्होंने 'जनाजा', 'युद्ध', 'जली हुई रस्सी', सरीखी रचनाओं के जरिये, विभाजन के बाद से अपने में चन्द मुस्लिम समाज के बहुत सारे डर, असमंजस और विरोधाभास हमारे सामने रखे हैं, तो दूसरी ओर 'जहाँपनाह जंगल' जैसी दुनिया उद्घाटित की है और 'परस्त्रीगमन' जैसा नजरिया पेश किया है । उनकी कहानियों में हमें अपने भीतर की वह दबी हुई चीख सुनाई पड़ती है, जिसे हम रोज मुल्लवी करते चलते थे । साथ ही, उनकी दूरबीनी नजर के सामने हम अपने कार्यकलापों को बौना, व्यर्थ और क्षणभंगुर होता हुआ भी पाते हैं । संक्षेप में, उनके पाठकों का कहीं छुटकारा नहीं है-हर हालत में वे पात्रों की नियति के सहभोगी हैं-उसमें विदूप हो, व्यंग हो या कभी न भुलाया जानेवाला अपमान । शानी के रचना-संसार से अपरिचित पाठकों के लिए यह संकलन यक़ीनन प्रतिनिधि सिद्ध होगा ।
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