Pratinidhi Kahaniyan
Material type: TextPublication details: Rajkamal Paper Backs 2019Description: 187pISBN: 978-8126722952Subject(s): Fiction | Hindi LiteratureDDC classification: 891.433 Summary: पत्रकारिता से जुड़े रहकर भी खुशवंत सिंह ने अंग्रेजी में लिखनेवाले एक भारतीय कथाकार के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बनाए रखी है। इस संग्रह में उनकी कुछ प्रतिनिधि कहानियां शामिल हैं, जिन्हें उनके तीन कहानी-संग्रहों से चुना गया है। खुशवंत सिंह की कहानियों का संसार न तो सिमित है और न एकायामी, इसलिए ये कहानियां अपनी विषय-विविधता के लिए विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। ध्यान से पढने पर इनकी दुनिया जहाँ हमारी सामाजिक दुनिया की अनेक खासियतें उजागर करती हैं, वहीँ इनमें लेखक का अपना व्यक्तित्व भी प्रतिध्वनित होता है- विचारोत्तेजक और अनुभूतिप्रवण। शैली सहज, सरल और भाषा प्रवाहमयी है। जीवन के विस्तृत अनुभवों में पगी हुई इन कहानियों में अपने देश की मिटटी की सोंधी गन्ध हैं। मानव-जीवन में गहरे जड़ जमाए खोखले आदर्शो और दकियानूसी परम्पराओं पर कुठाराघात करती हुई ये चुटीली कहानियां अपने समय की जीवंत प्रतिध्वनियाँ हैं, जो यदि हमें गुदगुदाती हैं तो सोचने-समझने के लिए प्रेरित भी करती हैं। लेकिन साथ ही ये एक ऐसे भारतीय लेखक की कहानियां भी हैं, जो अपने मुंहफट स्वाभाव और स्वतंत्र विचारों के लिए बहुत बार विवादों के घेरे में रहा है।Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Books | Ektara Trust | 891.433/SIN(H) (Browse shelf(Opens below)) | Available | 1021 |
पत्रकारिता से जुड़े रहकर भी खुशवंत सिंह ने अंग्रेजी में लिखनेवाले एक भारतीय कथाकार के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बनाए रखी है। इस संग्रह में उनकी कुछ प्रतिनिधि कहानियां शामिल हैं, जिन्हें उनके तीन कहानी-संग्रहों से चुना गया है। खुशवंत सिंह की कहानियों का संसार न तो सिमित है और न एकायामी, इसलिए ये कहानियां अपनी विषय-विविधता के लिए विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। ध्यान से पढने पर इनकी दुनिया जहाँ हमारी सामाजिक दुनिया की अनेक खासियतें उजागर करती हैं, वहीँ इनमें लेखक का अपना व्यक्तित्व भी प्रतिध्वनित होता है- विचारोत्तेजक और अनुभूतिप्रवण। शैली सहज, सरल और भाषा प्रवाहमयी है। जीवन के विस्तृत अनुभवों में पगी हुई इन कहानियों में अपने देश की मिटटी की सोंधी गन्ध हैं। मानव-जीवन में गहरे जड़ जमाए खोखले आदर्शो और दकियानूसी परम्पराओं पर कुठाराघात करती हुई ये चुटीली कहानियां अपने समय की जीवंत प्रतिध्वनियाँ हैं, जो यदि हमें गुदगुदाती हैं तो सोचने-समझने के लिए प्रेरित भी करती हैं। लेकिन साथ ही ये एक ऐसे भारतीय लेखक की कहानियां भी हैं, जो अपने मुंहफट स्वाभाव और स्वतंत्र विचारों के लिए बहुत बार विवादों के घेरे में रहा है।
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