Vichar Ka Kapda
Mishra, Anupam.
Vichar Ka Kapda - Rajkamal Prakashan 2020 - 456p.
कायदे से अनुपम मिश्र न लेखक थे, न पत्रकार। वे साफ माथे के एक आदमी थे जो हर हालत में माथा ऊँचा और साफ रखना चाहते थे। उनकी निराकांक्षा उनकी बुनियादी बेचैनियों को ढाँप नहीं पाती थी। ये बेचैनियाँ ही उन्हें कई बार ऐसे प्रसंगों, व्यक्तियों, घटनाओं, वृत्तियों को खुली नज़र देखने-समझने की ओर ले जाती थीं। उनकी संवेदना मे ऐसी ऐन्द्रियता थी कि वे विचार का कपड़ा भी पहचान लेती थी। कुल मिलाकर अनुपम मिश्र की अकाल मृत्यु के बाद शेष रह गयी सामग्री में से किया गया यह संचयन हिन्दी में सहज, निर्मल और पारदर्शी, मानवीय गरमाहट से भरे गद्य का विरल उपहार है। हमें मरणोत्तर अनुपम मिश्र को उनकी भरी-पूरी जीवन्तता में प्रस्तुत करने में प्रसन्नता है।” —अशोक वाजपेयी.
Hindi
978-93-89577-73-0
Environment
Nature
Wildlife
363.7 / MIS
Vichar Ka Kapda - Rajkamal Prakashan 2020 - 456p.
कायदे से अनुपम मिश्र न लेखक थे, न पत्रकार। वे साफ माथे के एक आदमी थे जो हर हालत में माथा ऊँचा और साफ रखना चाहते थे। उनकी निराकांक्षा उनकी बुनियादी बेचैनियों को ढाँप नहीं पाती थी। ये बेचैनियाँ ही उन्हें कई बार ऐसे प्रसंगों, व्यक्तियों, घटनाओं, वृत्तियों को खुली नज़र देखने-समझने की ओर ले जाती थीं। उनकी संवेदना मे ऐसी ऐन्द्रियता थी कि वे विचार का कपड़ा भी पहचान लेती थी। कुल मिलाकर अनुपम मिश्र की अकाल मृत्यु के बाद शेष रह गयी सामग्री में से किया गया यह संचयन हिन्दी में सहज, निर्मल और पारदर्शी, मानवीय गरमाहट से भरे गद्य का विरल उपहार है। हमें मरणोत्तर अनुपम मिश्र को उनकी भरी-पूरी जीवन्तता में प्रस्तुत करने में प्रसन्नता है।” —अशोक वाजपेयी.
Hindi
978-93-89577-73-0
Environment
Nature
Wildlife
363.7 / MIS